अष्टापद तीर्थ प्रेरिका मालव ज्योति खतरगच्छीय साध्वी जिन शिशु प्रज्ञा श्रीजी महाराज आदि ठाना 22 सहित साध्वियों का दसई नगर में मंगल प्रवेश हुआ।

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दसई – हमारे हृदय में भगवान का रहना अच्छी बात है लेकिन भगवान के हृदय में हमारे रहना बहुत बड़ी बात है हमेशा ऐसे कर्म करो कि हम भगवान के हृदय में रहे। उक्त विचार दसई में अष्टापद तीर्थ प्रेरिका मालव ज्योति खतरगच्छीय साध्वी जिनशिशुप्रज्ञाश्रीजी महाराज और प्रगुणाश्रीजी महाराज ने प्रवचन के दौरान व्यक्त किये। अष्टापद तीर्थ प्रेरिका मालव ज्योति खतरगच्छीय साध्वी जिनशिशुप्रज्ञाश्रीजी महाराज आदि ठाना 22 सहित साध्वियों का दसई नगर में मंगल प्रवेश हुआ। जैन श्री संघ के जितेंद्र लोढ़ा ने बताया कि यह पहला अवसर है जब इतनी बड़ी संख्या में साध्वियों का एक साथ मंगल प्रवेश हुआ है। श्री संघ के दिलीप मंडलेचा, कमल राठौर, संजय मंडलेचा ने बताया कि जैसे ही साध्वी मंडल का अमझेरा में मंगल प्रवेश की सूचना प्राप्त हुई श्री संघ अध्यक्ष सहित समाज जनों ने अमझेरा जाकर साध्वी मंडल से दसई नगर में आगमन एवं स्थिरता के लिए विनती की। जिसे पूज्या श्री ने स्वीकार कर सुबह 8:30 प्रवेश की बात कही। जिसे सुनकर जैन समाज में प्रसन्नता की लहर छा गई। साध्वी मंडल का मंगल प्रवेश प्रातः 8:30 बजे ढोल ढमाको के साथ नीम चौक से प्रारंभ हुआ जो सरदार पटेल चौक, नया बाजार होते हुए जैन मंदिर पहुंचा। रास्ते में जैन समाज के अलावा अन्य समाज जनों ने भी गवली की। जहां नवकारसी के पश्चात समाज जनों ने दर्शन लाभ लिए। दोपहर 2:30 बजे प्रवचन हुए जिसमें प्रभावना मंडलेचा परिवार की और से रही। धर्मसभा में साध्वीजी ने जीवन के मूल सत्य को समझाते हुए कहा कि हर व्यक्ति सुख की चाह रखता है, लेकिन सुख प्राप्ति का मार्ग धर्म है। इंसान को धर्म की राह से कभी भटकना नहीं चाहिए क्योंकि सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए धर्म का मार्ग अपनाना आवश्यक है। पूज्या श्री ने बताया कि वह दसई से बिहार कर खिलाड़ी बदनावर रतलाम जावरा होते हुए 10 फरवरी को अष्टापद तीर्थ पहुंचेंगे। अष्टापद में 11 फरवरी को होने वाले बारहवें ध्वजारोहण में निश्रा प्रदान करने जा रहे हैं।

प्रधान संपादक

नयन लववंशी

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