शिव को प्रसन्न करने के लिए केवल उनके नाम का स्मरण या शिव पुराण का पाठ ही पर्याप्त है- संत श्री निर्मल पुरी जी गोस्वामीसप्त दिवसीय शिव पुराण कथा का समापन छप्पन भोग व रुद्राक्ष वितरण के साथ हुआ

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धार। स्थानीय भोज नगर में सप्त दिवसीय श्री शिव पुराण कथा का समापन छप्पन भोग व रुद्राक्ष वितरण के साथ संपन्न हुआ। शिव पुराण कथा आयोजन मुख्य यजमान जयप्रकाश त्रिपाठी मां दुर्गा सेवा ट्रस्ट के द्वारा किया गया था। मां दुर्गा मंदिर भोज नगर धार परिसर में प्रतिदिन दोपहर 2:00 बजे से सायं 5:00 तक प्रतिदिन मालवा माटी के प्रसिद्ध संत श्री निर्मल पुरी जी गोस्वामी महू गांव वाले के मुखारविंद से कथा का वाचन हुआ। शिव पुराण कथा के दौरान संत श्री निर्मल पुरी जी गोस्वामी ने कहा कि शिव और शक्ति, भोले और भक्ति मे सार है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए केवल उनके नाम का स्मरण या शिव पुराण का पाठ ही पर्याप्त है। शिव पुराण का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शिव पुराण को करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है, यदि कोई दुश्मन आपको नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहा है तो वह अपने आप ही शांत हो जाता है। यदि दांपत्य जीवन में संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा है तो शिव पुराण का पाठ करने से जल्द ही संतान सुख प्राप्त होता है, क्योंकि एक प्रचलित कथा के अनुसार जब जामवंती ने श्रीकृष्ण से संतान की इच्छा प्रकट की, तब श्रीकृष्ण ने शिव की तपस्या कर सांब को प्राप्त किया, इसलिए निसंतान भी शिव पुराण का पाठ कर महादेव से आशीर्वाद ले सकते है। यदि किसी के कार्यों में बाधा आती है तो शिव पुराण का पाठ करें। सोमवार के दिन शिव पूजा में शिव पुराण का पाठ किया जाए तो भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं। उन्होंने सप्त दिवसीय कथा के दौरान बहुत ही रोचक तरीके से सरल भाषा में कथा को वर्णित किया जिसका भक्तजनों ने भरपूर आनंद लिया तथा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया। इस अवसर पर उन्होंने समस्त सनातनियों से सामाजिक भेदभाव मिटा कर एकजुट रहने की अपील की। यदि हम बटेंगे तो आगे आने वाली पीढ़ी सुरक्षित नहीं होगी। हम संगठित रहेंगे तो सेफ रहेंगे।
कथा के दौरान मां दुर्गा सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्री शिव पुराण महाकथा अंतर्गत शिव भक्तों द्वारा शोभा यात्रा त्रिमूर्ति नगर में निकाली गई, जिसमें महिलाएं अपने सिर पर कलश लेकर शिव भक्ति मे लीन होकर महिलाएं नृत्य करते हुए भी चल रही थी।शोभा यात्रा का त्रिमूर्ति नगर में जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। कथा के दौरान संत श्री ने शिव पार्वती विवाह, भगवान गणेश एवं कार्तिकेय के जन्मोत्सव,12 ज्योतिर्लिंगों की महिमा,11 रुद्र अवतार की महिमा, सहित भगवान शिव से जुड़े गई पौराणिक तथ्यों का बहुत ही सुंदर वर्णन किया। समापन अवसर पर भगवान भोलेनाथ को 56 भोग लगाकर कथा श्रवण आए समस्त भक्त जनों को रुद्राक्ष वितरण किया। अंतिम दिन मुख्य यजमान जयप्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती मधुलता त्रिपाठी, ज्ञानेंद्र, साधना, त्रिपाठी, तपन शेल ,जतन श्रवण द्वारा आरती की गई। कथा के दौरान मां दुर्गा सेवा ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टी एवं मुख्य यजमान श्री श्री जयप्रकाश त्रिपाठी ,श्रीमती मधुलता त्रिपाठी, श्री शिवशंकर वर्मा ,श्री प्रताप सिंह रघुवंशी, श्री सुरेंद्र बहादुर पांडेय ,श्री विजय मिश्रा, श्री रामदास वैष्णव ,श्री इंद्रजीत पाटीदार ,श्री ओमप्रकाश सोलंकी, श्री राजेंद्र प्रसाद शर्मा, श्री जेपी सिंह, श्रीमती अनीता- प्रकाश त्रिवेदी ,श्री दत्ता जी रेड्डी, पुजारी श्री कृष्णा मिश्रा ,श्री डॉक्टर नरेंद्र ठाकुर आदि ने श्री शिव महापुराण कथा में विशेष सहयोग प्रदान किया। उक्त जानकारी आयोजन समिति के सहयोगी ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने दी।

प्रधान संपादक

नयन लववंशी

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