सड़क निर्माण की आड मे अवैध उत्खनन — उपजाऊ भूमि और पर्यावरण को नुकसान, विभागीय अधिकारी मौन
मध्यप्रदेश के धार जिले के नागदा से बरमंडल तक लगभग 27 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कार्य इन दिनों विवादों में है। करीब 63 करोड़ रुपए की लागत से बन रही यह सड़क लोक निर्माण विभाग की निगरानी में बनाई जा रही है, जबकि इसका ठेका एक निजी निर्माण एजेंसी को सौंपा गया है।स्थानीय सूत्रों के अनुसार, निर्माण एजेंसी द्वारा सड़क निर्माण के नाम पर लगातार अवैध मुरम उत्खनन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि एजेंसी ने सड़क निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री के लिए ग्राम इंद्रावल एवं आसपास की कृषि भूमि में खनन कार्य शुरू कर दिया है, जिससे क्षेत्र की उपजाऊ मिट्टी का ह्रास हो रहा है और बरसात में मिट्टी कटाव का खतरा बढ़ गया है।*कृषि भूमि और पर्यावरण पर प्रभाव*ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन से खेतों का स्वरूप बिगड़ रहा है। पहले जो भूमि फसलों के लिए उपयुक्त थी, अब वहां गहरे गड्ढे बन गए हैं। इससे क्षेत्र की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ने के साथ ही पर्यावरणीय असंतुलन भी देखा जा रहा है। पेड़-पौधों की जड़ें नष्ट हो रही हैं और हरियाली की जगह सूखी मिट्टी ने ले ली है।*विभागीय चुप्पी पर सवाल*जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों ने अवैध खनन की शिकायतें कई बार खनिज विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाईं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। विभागीय चुप्पी ने संभावित मिलीभगत और उदासीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।*निर्माण गुणवत्ता और समय सीमा पर भी संशय*सूत्र बताते हैं कि एजेंसी का अर्थवर्क पूरा करने का निर्धारित समय समाप्त हो चुका है, जबकि सड़क का मुरम कार्य अभी तक अधूरा है। ऐसे में यह चिंता बढ़ रही है कि आगे चलकर सड़क की गुणवत्ता और मजबूती पर असर पड़ सकता है।*जनता में नाराज़गी*ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि निर्माण एजेंसी को खनन के लिए छूट दी गई है, तो यह स्पष्ट किया जाए कि वह किस क्षेत्र से सामग्री निकाल सकती है। अन्यथा यह कार्य सरकारी आदेशों और पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
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नयन लववंशी
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