ट्राइबल विभाग में धड़ल्ले से हो रहे स्थानांतरणों में संशोधन,निलंबित रह चुका बाबू जावखेड़कर जारी करवा रहा आदेश ,कलेक्टर,प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बिना नियम विरुद्ध निकल रहे थोकबंद आदेश ,परीक्षाओं के दौर में शिक्षकों को बनवा रहा दूसरे स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य,*
मध्यप्रदेश शासन वेसे तो बच्चो की बेहतर शिक्षा के लिए चुनाव मे बडे बडे वादे किये जाते है साथ ही करोडो रुपये की योजना व कानुन भी बने हुए है ,परंतु धार जिले मे देखे तो शिक्षा विभाग मे भ्रष्टाचार का बोलबाला है कुछ विभाग मे राजनैतिक व बडे अधिकारी संरक्षण से कई दिनो से ऐसे महत्वपूर्ण पदो पर कानून व नियम को ठेंगा दिखाते हुए पद पर आसीन है उच्च अधिकारी मोन धारण किये हुए है
ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के धार जिले ट्राइबल विभाग में ट्रांसफर (स्थानांतरण) प्रक्रिया को पैरों तले रौंदा जा रहा है। ट्रांसफर पर प्रतिबंध लगे होने के बाद भी विभाग के सहायक आयुक्त कार्यालय में पदस्थ बाबू पर आरोप है कि वह पुरानी तारीखों में आदेश निकालकर ट्रांसफर आदेशो में संशोधन, निरस्तीकरण का खेल चला रहा है। हैरानी की बात यह है कि संबंधित बाबू राजन जावखेड़कर स्वयं भी शिकायती तौर पर झाबुआ स्थानांतरित है, लेकिन कोर्ट स्टे का लाभ लेकर अब भी धार के कार्यालय में ही अंगद के पैर की तरह जमा हुआ है और भ्रष्टाचार में लिप्त है।
पुरानी तारीखों में आदेश निकालने का आरोप
सूत्रों के अनुसार बाबू द्वारा 3–4 महीने पुरानी तारीखों में आदेश बनाकर जारी किए जा रहे हैं। ये आदेश कभी निरस्त करने के नाम पर तो कभी स्थान परिवर्तन के रूप में किए जा रहे हैं।इसके द्वारा दावा किया जा रहा है कि जिले के कलेक्टर द्वारा अनुमोदन प्राप्त है, लेकिन कई मामलों में जहां अनुमोदन नहीं हुआ है, उनके ट्रांसफर आदेश के अभ्यावेदन अभी तक निरस्त नहीं किए गए।यह स्थिति संदेह पैदा करती हुई भ्रष्टाचार की ओर इंगित करती है कि अगर वास्तव में अनुमोदन हुआ है तो फिर आदेश महीनों तक रोके क्यों गए?
गुप्त संशोधन और निरस्तीकरण: कई आदेश संदिग्ध
बताया जा रहा है कि ऐसे अनेक ट्रांसफर आदेश गुप्त रूप से संशोधित, निरस्त या बदले गए हैं, जिनकी जानकारी संबंधित कलेक्टर प्रभारी मंत्री को नहीं दी गई है न ही अनुमोदन लिया गया है। कई मामलों में यह प्रक्रिया गंभीर विभागीय जाँच का विषय बन सकती है। संशोधन और निरस्तीकरण में भी लाखों के लेनदेन के आरोप जन चर्चाओं में हैं।
जावखेड़कर पर गंभीर आरोप, फिर भी कार्यालय में सक्रिय
विवादित बाबू राजन जावखेड़कर पहले खुद भी निलंबित हो चुका है और उसके विरुद्ध विभागीय जाँच लंबित है। इसके बावजूद कार्यालय में उसकी पकड़ इतनी मजबूत बताई जा रही है कि इसकी खुद की जाँच फाइलें आगे नहीं बढ़ रहींl इसके द्वारा कई प्रकरण जानबूझकर लंबित रखे जा रहे हैं,और वह स्थानांतरण शाखा पर अब भी नियंत्रण रखे हुए है।
छात्रों की पढ़ाई की चिंता किसी को नही
प्रतिबंधित अवधि में भी धड़ाधड़ नए आदेश निकाल रहा
जनजातिय कार्य विभाग में पदस्थ यह बाबू स्थानांतरण को प्रतिबंध लग जाने के बाद भी धड़ाधड़ आदेश निकलवा रहा है। इसके द्वारा हाल में ही डही , कुक्षी , नालछा , बाग आदि अनेक विकासखंडों में अनेकों उच्च माध्यमिक शिक्षकों को उनके मूल स्कूलों से हटाकर प्रभारी प्राचार्य और बीईओ का प्रभार दिया जा रहा है जबकि परीक्षाओं का समय निकट है। इन शिक्षकों को स्कूलों में होना चाहिए लेकिन अफसरी करने के लिए ये भी पढ़ाई करवाना छोड़ बाबू की जी हुजूरी में लगे रहकर आदेश निकलवाते हैं। जनचर्चाओं में इस प्रकार की नियमविरुद्ध नियुक्तियों में लाखों के लेनदेन के आरोप भी लग रहे हैं।
जाँच की मांग तेज
कर्मचारियों का कहना है कि जब तक सभी आदेशों की समीक्षा, स्वीकृतियों का सत्यापन, और पुरानी तारीखों में जारी संशोधित आदेशों की जाँच नहीं की जाती, तब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी। कलेक्टर को चाहिए कि कोर्ट प्रकरण की आड़ में जारी ऐसे आदेशों की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाकर उच्चस्तरीय जांच कराएं।
प्रधान संपादक
नयन लववंशी
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