राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी वर्ष का पहला संचालन लाबरिया मंडल में निकला।
लाबरिया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी वर्ष का पहला संचालन लाबरिया मंडल में निकाला जा रहा है। अध्यक्षता मांगीलाल जी राठौड़ ने की, मुख्य अतिथि जिला संघ चालक श्री बाबूलाल जी हामड, सह कारवा दिनेश जी धाकड़ की उपस्थिति में स्वयंसेवकों का संचलन निकाला गया। अनुशासित तरीके से कदमताल करते हुए पूरे नगर में भ्रमण किया गया जहा नगर वासियों द्वारा स्वयं सेवको पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। मुख्य अतिथि जिला संघ चालक बाबूलाल जी हामड ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम मंडल संचालन के नियमित इकट्ठे हुए हैं और हमारा उद्देश्य मंडल को शाखा युक्त करना है। संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर यह निर्णय लिया कि कोई बड़े कार्यक्रम ना करते हुए हमारे कार्य के विस्तार को करना है। जिसमें मूल कार्य शाखा लगाना प्रत्येक मंडल पर एक घंटे नियत स्थान पर इकट्ठे होना और अपने विचार आदान-प्रदान करना, मिलना जुलना, भजन मंडली, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड जेसे आयोजन करना है। किसी गांव में शाखा लगाना,किसी गांव में हमारी मिलन मंडली तैयार करना, इस प्रकार तीन कार्य इस शताब्दी वर्ष में विस्तार के रूप में करना है। शताब्दी वर्ष में हम कुछ ना कुछ संकल्प ले किसी ने किसी रूप में संघ की गतिविधि से जुड़े।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। किन परिस्थितियों में हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था वह समय घोर निराशा का था हमारे पुरोजों ने फिर संघ का कार्य खड़ा किया आज विश्व में भारत का मान बड़ा है। फिर भी अनेक चुनोतिया है इन चुनोतियो से कैसे निपटा जाए इस पर हमें विचार करना होगा तथा हमें संगठित होना होगा क्योंकि संगठित शक्ति ही सब चुनौतियों का निदान है। शक्तिहीन देश कोई भी आकांक्षा पूरी नहीं कर सकता। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना, स्व का भाव होना, पर्यावरण संरक्षण जीवन में एक पेड़ जरूर लगाना और उसकी जीवन भर देखभाल करना, पानी बचाना, प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना, कुटुंब प्रबोधन करना, नागरिक अनुशासन का पालन करना नियम कायदे कानून का पालन करना इन पंच परिवर्तनों को कठोरता से अपने जीवन के अंदर उतार लेना बाद अपने घर परिवार में परिवर्तन करें उसके बाद समाज मे इसको फैलाए तो निश्चित रूप से पंच परिवर्तन व हिंदू राष्ट्र की जो संकल्पना लेकर संघ ने 1925 में जो पौधारोपा था वह पौधा आज वटवृक्ष के रूप में खड़ा हो गया है। लाखों करोड़ों की संख्या में स्वयंसेवक तैयार हो चुके हैं हम अपने आप को पहले सुधारे फिर दूसरों को सुधारने की बात करें।
प्रधान संपादक
नयन लववंशी
6261746002