गच्छाधीपति आचार्यश्री हितेश चंद्रजी सुरेश्वर जी मुनि मंडल सहित आज मंगलवार को दसाई नगर मे भव्य बेंड बाजे के साथ प्रवेश हुआ।
व मोहनखेड़ा से मुंबई के लिए प्रारंभ हुआ इसी कड़ी मे आज आचार्यश्री गच्छाधीपति आचार्यश्री हितेश चंद्रजी सुरेश्वर जी मुनि मंडल सहित आज मंगलवार को दसाई नगर मे भव्य बेंड बाजे के साथ प्रवेश हुआ । आप के प्रवेश नीमचोक से नया बाजार होते हुए आदिनाथ जैन मंदिर में प्रवेश हुआ । आप के प्रवेश पर घर घर पर जैन समाज के अलावा पाटीदार समाज, मारू समाज ने अक्षत के गवली की ।
इस अवसर पर आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में कहा :_मनुष्य जीवन अमुल्य है जिसका उपयोग हमें अच्छे से करना है ताकि हमारा भव सुधर सकें, वही धर्म आराधना ही सबसे बड़ी आराधना हैं । आज समय-समय के साथ हमें अग्रणी रह कर लोगो की सेवा करने में कभी भी कमी नही आने देना चाहिये ,वही मिलजुल के कार्य करने से कई प्रकार के लाम मिलते है ,और आपसी प्रेम भी बढता है। । आचार्यश्री ने श्रावक के बारे में भी विस्तार से समाजजनो को समझाया उक्त बात राजेन्द्रसूरि ज्ञान मन्दिर में मंगलवार को गच्छाधिपति आचार्यश्री हितेषचंद्र सूरीश्वरजी म. सा ने कहें ।
स्वागत गीत युक्ता मण्डलेचा ने प्रस्तुत किया । कार्यकम का संचालन राकेश नाहर ने किया इस अवसर पर आचार्यश्री को श्रीसंघ के शेतानमल नाहर छोटेलाल नाहर दिलीप मण्डलेचा, मंगल मेहता शेलेश मण्डलेचा, नरेन्द्र देवडा, कमल राठौर सहित अनेक लोगो ने काबली ओडाई ।
प्रधान संपादक
नयन लववंशी
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