प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा ने मोक्षदा एकादशी के पावन पर्व पर देह त्यागा, मुख्य मंत्री डाँ. मोहन यादव ने ट्विटर पर गहरा शोक व्यक्त किया, अंतिम दर्शन करने पहुँच सकते है,बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीसी शर्मा,सुदर्शन न्युज चैनल के प्रधान संपादक डाँ.सुरेश जी चव्हाणकै कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतु पटवारी ,उमंग सिंगार सहित वरिष्ठ अन्य राजनेता गण ने शोक व्यक्त किया है।

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इतिहास गवाह है कि भारतीय संतों ने योग और ध्यान के बल पर पूरे विश्व को चौंकाने का काम किया है. साथ ही कठीन साधना के जरिये इंद्रियों पर संयम रखने और शरीर को हर मौसम के अनुकूल बनाकर भी सब को हैरान किया है. यही वजह है कि योग और अध्यात्म के मामले में भारत का स्थान शीर्ष पर है. वहीं, योग की बारीकियों को जानने व सीखने के लिए विश्व के कोने-कोने से लोगों का भारत आगमन होता रहता है।इनकी एक झलक पाने के लिए न सिर्फ़ देश बल्कि विदेशों से भी भक्तों के ह्रदय बसते है।

निमाड़ के प्रसिद्ध सरल स्वभाव मृदु भाषी आम मानव के लिए सोचने वाले संत श्री सियाराम महाराज जी ने बुधवार आज सुबह प्रातः काल 6 बजे अंतिम सांस ली। संत श्री सियाराम जी महाराज कुछ समय से बीमार चल रहे थे जिनका उपचार सनावद के निजी अस्पताल में भी हुआ था। वर्तमान में नर्मदा किनारे आश्रम में ही वरिष्ठ डॉक्टरों के द्वारा उनका इलाज चल रहा था। वहीं उनके समुचित इलाज के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर , कमिश्नर इंदौर, खरगोन कलेक्टर सहित वरिष्ठ अधिकारी की भी नजर रखे हुए थे। आज उनके अंतिम संस्कार में प्रदेश के मुखिया मोहन यादव के सम्मिलित होने की संभावना है। उक्त जानकारी संत सियाराम बाबा के प्रमुख सेवादार कैलाश राठौड़, एवं रामेश्वर सिसोदिया द्वारा दी गई है।

इस खबर को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री डाक्टर मोहन यादव ने ट्विटर पर गहरा शोक व्यक्त किया ,उनके अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीसी शर्मा , सुदर्शन न्युज चैनल के प्रधान संपादक डाक्टर सुरेश जी चव्हाणकै कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतु पटवारी ,उमंग सिंगार सहित वरिष्ठ अन्य राजनेता गण ने शोक व्यक्त किया है।

आइये जानते है इस महान विभूति सियाराम बाबा के बारे में कुछ दिलचस्प और हैरान कर देने वाली बातें जानते हैं। हम जिन संत के बारे में आपको बता रहे हैं, वो सियाराम बाबा के नाम से जाने जाते हैं. ये मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले के नर्मदा तट पर स्थित भट्याण आश्रम के संत श्री हैं. बाबा की उम्र 109 वर्ष बताई जाती है. हालांकि, कोई इनकी उम्र 80 बताता है, तो कोई 130. वहीं नजदीकी शुत्रो की माने तो उनके की मानें, तो इनकी उम्र 109 के आसपास हो सकती है।

बाबा भगवान हनुमान के परम भक्त हैं और आपको निरंतर राम चरित्रमानस का पाठ करते मिल जाएंगे. ऐसा माना जाता है कि सियाराम बाबा का जन्म महारष्ट्र के मुंबई में हुआ था और उन्होंने 7-8वीं क्लास तक पढ़ाई भी की है. वहीं, किसी संत के संपर्क में आने के बाद उनके अंदर वैराग्य धारण करने का विचार आया और उन्होंने घर त्याग दिया और तप करने हिमालय चले गए. हालांकि, उनके बाद का जीवन काफ़ी रहस्यमयी है और इस बारे में शायद ही किसी के पास जानकारी हो।
दान में लेते हैं सिर्फ़ 10 रुपए। सियाराम बाबा की एक ख़ास बात ये है कि वो दान में सिर्फ़ 10 रुपए ही लेते हैं. अगर कोई 10 रुपए से ज्यादा उन्हें दान दे, तो वो बाकी पैसे उन्हें लौटा देते हैं. कहते हैं कि एक बार अर्जेंटीना व ऑस्ट्रिया के कुछ लोग बाबा के दर्शन करने के लिए उनके आश्रम गए और उन्होंने 500 रुपए बाबा को दान में दिये, लेकिन बाबा ने 10 रुपए लेकर बाकी पैसे उन्हें लौटा दिये.

इसके अलावा, सियाराम बाबा गौ सेवा व समाज कल्याण में भी अपनी भागीदारी देते हैं, बाबा ने नर्मदा घाट की मरम्मत और बारिश से बचने के लिए शेड बनवाने के लिए 2 करोड़ 57 लाख रुपए दान में दिए थे. ये पैसा उन्हें आश्रम की डूब के मुआवज़े के रूप में दिया गया था. वहीं, एक निर्माणाधीन मंदिर के शिखर निर्माण के लिए सियाराम बाबा ने 5 लाख रुपए भी दान दिए थे. ठंडी हो या गर्मी, सियाराम बाबा आपको हर वक़्त एक लंगोट में ही नज़र आएंगे. ध्यान साधना के बल पर उन्होंने अपने शरीर को मौसम के अनुकूल बना लिया है, इसलिए कड़ाके की ठंड भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती है. वहीं, इतनी उम्र होने के बावजूद वो अपना पूरा काम स्वयं ही करते हैं. वो अपना भोजन ख़ुद ही बनाकर खाते हैं. बाबा के नाम के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है. कहते हैं कि बाबा ने 12 वर्षों तक मौन धारण करके रखा हुआ था. वहीं, जब 12 वर्षों बाद उन्होंने अपना मुख खोला, तो उनके मुख से पहला शब्द निकला ‘सियाराम’. इस वजह से गांव के लोगों ने उनका नाम सियाराम रख दिया और अब बाबा सियाराम बाबा के नाम से ही जाने जाते हैं. इसके अलावा, उन्होंने 10 वर्षों तक खड़ेश्वर तप भी किया था. ये एक कठीन तप होता है, इसमें तपस्वी को सोने से लेकर दिन भर के सारे काम खड़े रहकर ही करने होते हैं. ये सब बाबा की योग साधना से ही संभव हो पाया. कहते हैं बाबा के खडेश्वर तप के दौरान नर्मदा नदी में बाढ़ आ गई थी और पानी बाबा के नाभि तक आ गया था, लेकिन बाबा अपनी जगह पर ही बने रहे।

ऐसी महान विभूति धरा पर बार बार अवतरित नही होती है उस महान आत्मा को भोज न्युज नमन करता है व मोक्ष की कामना करता है ।

प्रधान संपादक

नयन लववंशी

6261746002

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