क्या कलेक्टर साहब दसई की जनता को मंडलेचा गैस गोदाम के संभावित हादसे से भयमुक्त करेंगे व संभावित हादसे की जिम्मेदारी संचालक सुभाष मंडलेचा व कलेक्टर सहाब लेंगे..?
कल तमिलनाडु मे एक गैस सिलेंडर से भरे ट्रक मे हाइवे पर विस्फोट हो गया जिससे गैस सिलेंडरो व ट्रक के परखच्चे उड गये वह जहा विस्फोट इतना खतरनाक था कि तीन दो मीटर तक गैस सिलेंडर के टुकडे उडे अगर यह हादसा रहवासी क्षेत्र मे होता तो द्रष्य होता बया नही कर सकते ।
ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के धार जिले के सरदारपुर तहसील के दसाई गांव का है। समाचार पत्रों में शिकायतें व खबरें प्रकाशित होने के बावजूद यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या कलेक्टर साहब दसई की जनता को मंडलेचा गैस गोदाम में संभावित हादसे से सुरक्षित रख पाएंगे, या यह मामला भी पहले की तरह दबा दिया जाएगा?
आज हमारे देश में आम लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई कानून बनाए हैं। इन कानूनों को लागू करने के लिए सरकार जनता से टैक्स के रूप में उनकी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा वसूलती है। लेकिन दुख की बात यह है कि उस टैक्स का एक प्रतिशत हिस्सा भी धरातल पर जनहित के कार्यों में उपयोग होता नजर नहीं आता।
मानवाधिकार आयोग और तमाम सरकारी तंत्र होने के बावजूद भी आम जनता की समस्याओं, परेशानियों और अत्याचारों पर आवाज उठाना आज भी दुर्लभ है। सब कुछ सिर्फ दिखावे और औपचारिकताओं तक सीमित रह गया है।
इसी तरह का एक गंभीर मामला मध्यप्रदेश के धार जिले की सरदारपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले दसई गांव का है, जो जनसंख्या की दृष्टि से एक बड़ा और प्रमुख ग्राम है। लेकिन सुविधाओं के अभाव में यह आज भी बुनियादी सुरक्षा से वंचित है।
गांव के मुख्य बाजार से सटे क्षेत्र में रसूखदार व्यापारी सुभाष मंडलेचा अपनी पत्नी के नाम से लगभग 800 सिलेंडरों का भारत गैस भंडारण कर रहे हैं। यह गोदाम घनी आबादी के बीच स्थित है। ऐसे में यदि कभी कोई हादसा होता है, तो उसकी भयावहता का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
स्थानीय शासन, प्रशासन और राजनीतिक संरक्षण के चलते इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। सवाल यह उठता है कि—
अगर किसी दिन यह गोदाम हादसे का शिकार हो गया, तो क्या सुभाष मंडलेचा, स्थानीय प्रशासन, और कलेक्टर इसकी जिम्मेदारी लेंगे?
क्या दसई के ग्रामीणों की जान-माल की सुरक्षा की गारंटी प्रशासन देगा?यदि नहीं, तो आखिरकार प्रशासन कार्रवाई कब करेगा?क्या फिर से जांच के नाम पर नोटों की ताकत से आम जनता की आवाज को दबा दिया जाएगा। यह सवाल अब समय के हवाले है ,क्या प्रशासन जागेगा, या फिर दसई की जनता को डर और खतरे के साथ ही जीना पड़ेगा..?
प्रधान संपादक
नयन लववंशी
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