दसई :टप्पा तह. दसई स्थित स्वामी विवेकानंद उ. मा. विद्यालय में लगा बाल मेला..
अभिभावक सहित अन्य स्कूलों के बच्चो ने लिया खाद्य व्यंजनों का आनंद…

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टप्पा तह. दसई स्थित स्वामी विवेकानंद उ. मा. विद्यालय में लगा बाल मेला
अभिभावक सहित अन्य स्कूलों के बच्चो ने लिया खाद्य व्यंजनों का आनंद
ज्ञात हो कि नवम्बर माह में चाचा नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है जो कि 14 नवम्बर को आता है इस बाल दिवस के आयोजन को लेकर हर विद्यालय के बच्चो में बहुत ही उत्साह होता है। ऐसा ही उत्साह टप्पा तह. दसई के निजी विद्यालय स्वामी विवेकानंद हायर सेकेंडरी स्कूल में गत 26 नवम्बर को देखने को मिला जिसमे संस्था प्रबन्धक श्री रघुवंशी के द्वारा माँ सरस्वती जी और पंडित जवाहर लाल नेहरुन के चित्र का पूजन कर मेले को प्रारम्भ किया गया। मेले को बच्चो की पढ़ाई के साथ कुशल व्यापार की नीति को विकसित करने हेतु मेले का आयोजन करवाया जिससे विद्यालय के बच्चे द्वारा इस एक दिवसीय मेले में अपने जीवन जीने में सहायक अभिन्न अंग रुपये कमाने की जिज्ञासा को अपने अंदर जाग्रत कर एक दिन के व्यापारी बनने का सफल प्रयास किया गया और जीवन मे व्यापारीक क्षेत्र में नफा-नुकसानी के गणित को समझा गया। साथ ही इस प्रकार के मेले के आयोजन से बच्चे खुल कर जीवन का आनंद लेते है। क्योकि यही वह मेला होता है जो दुनिया के अन्य मेलो की भीड़ से दूर अपने खुद के विद्यालय केम्पस में आयोजित होता है जहाँ कक्षा नर्सरी से लेकर अन्य बड़ी कक्षाओं तक अध्ययन करने वाला बच्चा अकेले भी अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है। इसका दूसरा कारण यह भी है कि विद्यालय में लगने वाले मेलो में चाहे शिक्षित व्यक्ति आये या अशिक्षित सब सभ्य बनकर मेले का आनंद लेते है।
विभिन्न प्रकार की लगी दुकाने नन्हे बच्चे बने व्यापारी
स्वामी विवेकानंद विद्यालय में बच्चो ने शुध्द एवं पौष्टिक खाद्य सामग्री जैसे घर पर बने भजिये, पटेटो फ़्राय चिप्स, घर पर बने पानी पूरी, भेल, घरेलू मसालों से तैयार आलूबड़ा, समोसा, दही-पूरी, मसाला-छाछ आदि अन्य पोष्टिक खाद्य व्यजनों की दुकान लगाई। उक्त दुकानों के व्यापार की खासियत यह रही है सारा सामान घर पर तैयार किया गया था जो कि अन्य बाजार के समान की तुलना में लजीज तो साथ ही मसालों की मात्रा ऐसी रखी गई कि इसको बच्चे पचा सके।
बच्चे बने व्यापारी तो माता-पिता ने भी खरीदा सामान
जब व्यापार करने वाला उद्यम में साहस दिखाता है तो उनको देखने का आनंद ही अलग होता है। इसी आनन्द के नजारे विद्यालय में लगे बाल मेले में देखने को मिले जहां बच्चो के द्वारा लगाई गई दुकानों से बच्चो के माता-पिता भी सामान खरीदने में पीछे नही हटे। उनके द्वारा खरीददारी करने पर बच्चो का उत्साह डबल हो गया क्योकि ग्राहकों की संख्या सीधी दुगुनी होने लगी। इधर मेले में कुछ चुनिन्दा दुकानों ने वास्तविक मेले जैसा माहौल बना दिया था उन दुकानों में ज्यादा वाहवाही बटोरने वाली दुकान गुरुकृपा गराडू सेंटर रही वही उसके साथ काश्मीरी कुल्फी ने भी बच्चो सहित अभिभावकों को अपनी ओर खींचा इसी के साथ बजरंगी निशाना पाइंट ने बाल मेले में बड़े मेले जैसी स्थिति को बनाये रखा।
बच्चो ने मेले के अयोजन के बावजूद भी रखा नियमो को आगे
ज्ञात हो कि स्वामी विवेकानंद संस्थान के बच्चे अनुशासन की बात में कभी पीछे नही हटते इसका एक ही कारण है संस्था प्रबन्धक श्री रघुवंशी द्वारा सदाचरण एव अनुशासन का पाठ बच्चो के बीच पढ़ाया जाना, जिस पर विद्यालय में मेला आयोजित होने वाले दिन भी विद्यालय की यूनिफार्म में शामिल हुए और अपने आप को अनुशासित विद्यार्थी के रूप में दर्शाया। वही कुछ बच्चे विद्यालय के मेले में विद्यालय की यूनिफॉर्म होने के साथ भी मेले में बिल्कुल रईसी ठाठ में नजर आए जैसे वे किसी बड़े मेले में सामान खरीदी कर रहे हो।
कलाकारी एवं मॉडल के माध्यम से भी निखरी प्रतिभा
बाल मेले में कुछ बच्चे अपनी प्रतिभा दुकानदार के रूप में निखार कर बताते है तो कुछ अपनी वैज्ञानिक कला का प्रमाण मॉडल के साथ देकर वही कुछ बालिकाओं ने रंगोली के माध्यम से रंगोली प्रतियोगिता में भाग लिया तो कुछ बच्चो ने चित्रकला के माध्यम से भी अपनी कला को दिखाया। इन सारी कलाओं में अभिभावकों द्वारा स्वयं के विवेक से विजेता चुनकर बच्चो को पुरुस्कार भी दिया गया श्रीं पाटीदार एवं श्री लववंशी द्वारा मॉडल में राममंदिर प्रोजेक्ट का नमूना बनाने वाले बच्चे को पुरुस्कार दिया गया।

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प्रतीक सिंह राठौर

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