विदेशी मेम को हिंदुस्तानी रंग चढा,घुमने आई फ्रांस की ने आदिवासी लडके शादी की,घर बसाया, भारतीय परंपरा के साथ सादा जीवन अपनाया ।

0

एमपी धार । हमारे देश के युवा पाश्चात्य संस्कृति से इतने पागल हुए जा रहे है कि आज का पहनावे ,खानपान,रहन सहन व विलासिता मे आय अधिक अपने नीजि खर्च के आदि हो गये है ओर अंत मे परेशान होकर गैर कानूनी कार्य कर अपराधी बन जाते है या आत्महत्या तक कर लेते है वही विदेशी युवा वर्ग हमारे देश की सनातन संस्कृति का अध्ययन करने व देखने समझने भारत बडी संख्या मे आ रहे है ओर गाय गंगा गीता पर शोध कर रहे है आज व्रद्धावन मे आप देखेंगे तो सबसे बडी मात्रा मे विदेशी युवा पर्यटक मिलेगे ।

   ऐसा ही एक रोचक मामला धार जिले के मांडु का है ,एक विदेशी मेम को विश्व पर्यटक स्थल मांडु इतना पसंद आया की ना केवल उसने मांडू के देसी छोरे से ब्याह रचाया बल्कि आदिवासी संस्कृति को अपनाते हुए एक देशी मकान भी बना दिया जिसमें ना सरिए लगे ना सिमेंट यह मकान लगभग लगभग बनकर तैयार भी हो चुका है और यह मकान बिना एसी और कूलर के वातानुकुलीत रहेगा।



आज से 10 साल पहले फ्रांस से मांडू घूमने आई मारी को मांडू और यहाँ की संस्कृति इतनी पसंद आई की मारी ने मांडू में गाइड का काम करने वाले धीरज चौधरी से शादी कर ली और इन दोनों के दो लडके भी है जिनका नाम नील और काशी है।

पेशे से शिक्षिका मारी का कहना है की वे खुद को और अपने बेटो को इलेक्ट्रॉनिक, टीवी मोबाइल से दुर रखना चाहती हूॅ, मारी अपने दोनों बेटों को हिन्दी और फ्रेंच में शिक्षा दे रही है। मारी ने बताया की यहां बहुत सारे मिट्टी के देषी घर बने है जो बहुत ठंडे रहते है तो मेने भी इसी तरह मकान बनाने का ख्याल मन में आया और हम दोनो ने फ्रांस जाकर नैचुरल बिल्डिंग प्रोजेक्ट विजिट किए और भारत आकर आर्किटेक्ट सत्येन्द्र भगत और अनंत नारायण ने हमारे सपनों का साकार करने में मदद की। हमने मकान बनाने में लाल मिट्टी, चुरी, भुसा, लाल मिट्टी का प्लाटर करवाया।

बाथरूम और अन्य हिस्सों में टाइल्स और पत्थर की जगह चुने का जापानी प्लास्टर करवाया पुरानी इमारतों से निकली लड़कियों को दरवाजे और खिड़की और चौखट का निर्माण करवाया। इसी तरह छत में कवेलु लगाए गए।

नयन लवंवशी

प्रधान संपादक

6261746002

Leave A Reply

Your email address will not be published.