आशाराम बापू जेल में नही,हमारी संस्कृति,धर्म व रक्षा व कानून प्रणाली जेल में है…धनंजय देसाई।
भारतीय सनातन संस्कृति व हिंदुत्व के मुद्दे पर बुलन्द बोल बोलने वाले हिंदू राष्ट्र सेना के संस्थापक वा राष्ट्रीय सेना के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष धनंजय देसाई ने मीडिया से बातचीत करते हुए संत श्री आशाराम जी बापू के मामले को लेकर को लेकर कई करारे और स्पष्ट बयान दिए।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि मैं पक्का धार्मिक हूं,संतों का सम्मान उनके चरणों की पूजा है, संत परंपरा की धरोहर की रक्षा यह मेरे कुलाचार में आता हैं अगर संतो अगर संतो की रक्षा छोड़कर मेरा कुलाचार होगा तो वास्तव मे वह कुलाचार नही होगा,बल्की भ्रष्टाचार होगा,चरित्रहीनता होगी । सनातन धर्म मेरे कुल की मर्यादा में है मेरे रोम रोम में हैउस सनातन धर्म के साधुओ का सम्मान किए बगैर मैं हिंदू हो ही नहीं सकता? मेरे अड़ोस पड़ोस मेरे सनातन धर्म के संतों का अपमान व उनके साथ अन्याय हो रहा मैं हो रहा हो, उनको बलात्कार जैसे मामले मामले मामले में झूठा फंसाया जा रहा हो आशाराम बापू जैसे योगी महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगाकर आशाराम बापु को संकट में नहीं लाया गया है बल्कि भारतीय संस्कृति को भारतीय जीवन पद्धति को सनातन धर्म को संकट में लाया गया है आशाराम बापू पर लगे आरोपों पर आश्चर्य प्रकट करते हुए देसाई ने कहा कि!सबको पता है की लड़की उत्तर प्रदेश की है,घटना राजस्थान मे होती है ओर एफआईआर होती है दिल्ली मे। ऐसा कौन सा केस है यह?
संविधान का हि आधार लेकर संविधान का ही गला दबाने का जो षड्यंत्र कर रहे हैं। ऐसे कई देशद्रोही उजले माथे से कानुन की आंख मे धुल झोककर खुलेआम घूम रहे हैं उनको मिटाने,रोकने व खत्म करने की भारत से भगाने की क्षमता केवल भौतिक संसाधनों से अर्जित नहीं होगी बल्कि आशाराम बापू जैसे शिखर पुरुष की आध्यात्मिक उपासना से,गुरु कृपा से ही होगी। धनंजय देसाई ने संत आसाराम बापू भारतीय सनातन धर्म की रक्षा प्रणाली की उपमा दी है और समाज को सचेत करने की भाषा में कहा कहा कि,जेसे सीमा के ऊपर से सैनिकों को अगर कोई बेहोश कर दे अथवा उन सैनिकों को सीमा से हटाकर कैद कर ले तो सैनिक संकट में नहीं अपितु आपकी भारत की सीमा संकट में है। ऐसे ही आशाराम बापू संकट में नहीं नहीं है? बल्कि आपके धर्म रक्षक कारावास में डाले जाते हैं,तो संकट में तो आप हैं, आपका धर्म है। वह तो हमारा चिंतन,मनन,ध्यान,धारणा व धर्म ऊपर हो इसलिए आपके शरीर की समीधा की आहुति इस भयंकर भीषण यज्ञ में देकर हमारी साधना बड़ा रहे हैं,बापू हमें ब्रम्हचर्य सिखाते हैं उच्च श्रेणी के वंश होकर नव निर्माण करने का एक उच्च कोटि का आध्यात्मिक योग्य सिखाने के साथ साथ कुल की शुद्धि भी सिखाते हैं हमारी अध्यात्मिक योग्यता जगाते हैं भारत को राष्ट्र द्रोही शक्ति खत्म करने में लगी उन शक्तियों रास्ते सबसे बड़ा रोड़ा बापु जैसे महापुरुष भारत को तोड़ने की नियत रखने वाले जानते हैं की जब तक भारत की आधारशिला उनके संतो के चरित्र पर लांछन लगाया जाए ओर हिंदू समाज व उनके कुल के प्रति अश्रद्धा पैदा भारत को विश्व गुरु बनाने मे रोढा डाल सके।
तुर्की,अरबी,शक,मुगल,ब्रिक,पुर्तगाली व अंग्रेज यह भारत को खत्म नहीं कर सके तो इन सडयंत्र कार्यो के तहत धर्मांतरण करने वालों ने ठान ली ओर भारत के संत महात्माओं का चरित्र हनन करना शुरू कर दिया उनके बारे में हिंदुओं के मन में प्रश्न चिन्ह खड़े करना शुरू कर दिया, बापू जी का चरित्र हनन करने का प्रयास हुआ है वास्तव में आध्यात्मिक स्तर पर आशाराम बापू युगपुरुष है ऐसे आत्माओं के ऊपर लांछन लगाकर धर्म के अलग कर समाज को तोडने का अंतरराष्ट्रीय सडयंत्र किया जा रहा है। इंटरव्यू के दौरान राष्ट्र भक्त व समाज के जागरुक लोगो को अवह्वान करते हुए कहां है,कि मैं सभी भारतीयों से अपील करता हूं सब सहते हुए हैं ,भी आशाराम बापू को 8 से 9 साल हो गए हैं अब जाकर सोये हुए जाओ।
किसान आंदोलन अगर केंद्र को झुका सकता है तो असली हिंदुत्व को भारत में धर्म व राष्ट्र मे पुन:उत्थान के लिए क्यों नही सरकार को मजबुर करे हम। भारत को विश्व गुरु बनाने के महायज्ञ मे आहुति देने वाले व पूर्ण तेजी से जागृत करने वाले आशाराम जी बापू के चरणों में हम क्षमा प्रार्थी हैं। उनके इतना भुगतना पड़ रहा है यह हमारी नपुंसकता है,हमारा अपयश हैं बापू जेल में हैं,बापू जेल के अंदर अंदर नहीं है,बल्कि हमारे कुल,धर्म की व राष्ट्र की सुरक्षा व रक्षा प्रणाली को जेल के अंदर है उनको छुड़ाने उनका काम नहीं है,हमारा खुद का दायित्व है आशाराम बापू की लड़ाई बापू कि नहीं अपितु मैं आशाराम जी बापू के बारे में बोल रहा हूं,मैं तो बापू के माध्यम से मेरे कुल के उद्धार के बारे में बोल रहा हूं मेरे रक्त की शुद्धि शुद्धि के बारे में मेरे खुल के उद्धार हैं के बारे में बोल रहा हूं मेरे रक्त की शुद्धि के बारे में बोल रहा हूं मेरी धरोहर मेरी परंपरा मेरी पुरखों की पुन्यायी के बारे में बोल रहा हूं।
नयन लववंशी
प्रधान संपादक
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